10+ अकबर बीरबल की कहानियाँ | Akbar Birbal Story in Hindi

akbar birbal story in hindi

अकबर बीरबल की कहानियाँ (Akbar Birbal Story in Hindi) बहुत हीं मशहूर और प्रेरणादायक हैं | आज हम यहाँ आपके लिए इन कहानियों का खजाना लेकर आए हैं |

01. हरे घोड़े की कहानी | Akbar Birbal Story in Hindi 

एक शाम बादशाह अकबर बीरबल के साथ अपने शाही बगीचे की सैर के लिए निकले | वह बगीचा बहुत हीं खुबसूरत था |

चारों ओर हरियाली थी और फूलों की भीनी – भीनी खुशबू वातावरण को और भी खूबसूरत बना रही थी |

ऐसे में बादशाह को पता नहीं क्या सूझा कि उन्होंने बीरबल से कहा, “बीरबल ! हमारा मन है कि इस हरे – भरे बगीचे में हम हरे घोड़े पर बैठ कर घूमें इसलिए मैं तुम्हें आदेश देता हूँ कि तुम सात दिनों के भीतर हमारे लिए एक हरे घोड़े का इंतजाम करो |”

अगर तुम इस आदेश को पूरा करने में असफल रहते हो, तो तुम कभी भी मुझे अपनी शक्ल मत दिखाना | इस बात से राजा व बीरबल दोनों वाकिफ थे कि आज तक दुनिया में हरे रंग का घोड़ा कभी नहीं हुआ है |

फिर भी राजा चाहते थे कि बीरबल किसी बात में अपनी हार स्वीकार करें | इसी कारण उन्होंने बीरबल को ऐसा आदेश दिया | मगर, बीरबल भी बहुत चालाक थे |

वो अच्छी तरह जानते थे कि राजा उनसे क्या चाहते हैं | इसलिए वो भी घोड़ा ढूंढने का बहाना बनाकर सात दिनों तक इधर – उधर घूमते रहे |

आठवें दिन बीरबल दरबार में बादशाह के सामने पहुँचे और बोले, “महाराज! आपकी आज्ञा के अनुसार मैंने आपके लिए हरे घोड़े का इंतजाम कर लिया है | मगर, उसके मालिक की दो शर्तें हैं |”

बादशाह ने उत्सुकता से दोनों शर्तों के बारे में पूछा तो बीरबल ने जवाब दिया, “पहली शर्त यह है कि उस हरे घोड़े को लाने के लिए आपको स्वयं जाना होगा |” राजा इस शर्त के लिए तैयार हो गए |

फिर उन्होंने दूसरी शर्त के बारे में पूछा तो बीरबल ने कहा, “घोड़े के मालिक की दूसरी शर्त यह है कि आपको घोड़ा लेने जाने के लिए सप्ताह के सातों दिन के अलावा कोई और दिन चुनना होगा |”

यह सुन राजा बड़ी हैरानी से बीरबल की ओर देखने लगे | बीरबल ने बड़ी सहजता से जवाब दिया, “महाराज! घोड़े का मालिक कहता है कि हरे रंग के खास घोड़े को लाने के लिए उसकी यह खास शर्तें तो माननी हीं पड़ेगी |”

राजा अकबर बीरबल की यह चतुराई भरी बात सुनकर खुश हो गए और मान गए कि बीरबल से उसकी हार मनवाना सच में बहुत मुश्किल काम है |

नैतिक शिक्षा – बुद्धि और विवेक से किसी भी प्रश्न का हल खोजा जा सकता है |


02. सबसे बड़ी चीज | Akbar Birbal Story in Hindi

एक बार की बात है | बीरबल दरबार में उपस्थित नहीं थे | इसी बात का फायदा उठा कर कुछ मंत्रियों ने बीरबल के खिलाफ बादशाह अकबर के कान भरने में लग गए |

उनमें से एक कहने लगा, “महाराज ! आप केवल बीरबल को हीं हर जिम्मेदारी देते हैं और हर काम में उन्हीं की सलाह ली जाती है। इसका अर्थ यह हुआ कि हमलोग अयोग्य हैं | मगर ऐसा नहीं हैं, हम भी बीरबल जितने हीं योग्य हैं |”

बीरबल महाराज के बहुत प्रिय थे | वह उनके खिलाफ कुछ भी सुनना नहीं चाहते थे, लेकिन उन्होंने मंत्रियों को निराश न करने के लिए एक समाधान निकाला |

उन्होंने उनलोगों से कहा, “मैं तुम सभी से एक प्रश्न का जवाब चाहता हूँ ? मगर, ध्यान रहे कि अगर तुम लोग इसका जवाब न दे पाए, तो तुम सबको फाँसी की सजा सुनाई जाएगी |”

दरबारियों ने झिझक कर महाराज से कहा, “ठीक है महाराज ! हमें आपकी ये शर्त मंजूर है, लेकिन पहले आप प्रश्न तो पूछिए |” बादशाह ने कहा, “दुनिया की सबसे बड़ी चीज़ क्या है ?”

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यह सवाल सुनकर सभी मंत्री एक दूसरे का मुँह ताकने लगे | महाराज ने उनकी ये स्थिति देख कर कहा, “याद रहे कि इस प्रश्न का उत्तर सही और सटीक होना चाहिए | मुझे कोई भी अटपटा सा जवाब नहीं चाहिए |”

इस पर मंत्रियों ने राजा से इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए कुछ दिनों की समय माँगा | बादशाह भी इस बात के लिए तैयार हो गए | महल से बाहर निकलकर सभी मंत्री इस प्रश्न का उत्तर ढूंढने लगे |

पहले ने कहा कि दुनिया की सबसे बड़ी चीज़ भगवान है, तो दूसरे ने कहा कि दुनिया की सबसे बड़ी चीज भूख है |

तीसरे ने दोनों के जवाब को नकार दिया और कहा कि भगवान कोई चीज नहीं है और भूख को भी बर्दाश्त किया जा सकता है इसलिए बादशाह के प्रश्न का उत्तर इन दोनों में से कोई नहीं होगा |

धीरे – धीरे समय बीतता गया और सभी दिन गुजर गए | फिर भी बादशाह द्वारा पूछे गए प्रश्न का जवाब न मिलने पर सभी मंत्रियों को अपनी जान की चिंता सताने लगी |

कोई भी उपाय न मिलने पर वो सभी बीरबल के पास पहुँचे और उन्हें अपनी सारी कहानी सुनाई |

बीरबल पहले से हीं इस बात को जानते थे | उन्होंने उन सबसे कहा, “मैं तुम्हारी जान बचा सकता हूँ, लेकिन तुम्हें वहीं करना होगा जैसा मैं कहूँगा |”  सभी मंत्री बीरबल की बात पर राजी हो गए |

अगले हीं दिन बीरबल ने एक पालकी का इंतजाम करवाया | उन्होंने दो मंत्रियों को पालकी को उठाने का काम दिया, तीसरे से अपना हुक्का पकड़वाया और चौथे से अपने जूते उठवाए एवं स्वयं पालकी में बैठ गए |

फिर उन सभी मंत्रियों को राजा के महल की ओर चलने का इशारा किया | जब सभी बीरबल को लेकर दरबार में पहुँचे, तो महाराज इस मंजर को देख कर हैरान हो गए |

इससे पहले कि वो बीरबल से कुछ पूछते, बीरबल स्वयं हीं राजा से बोले, “महाराज! दुनिया की सबसे बड़ी चीज “गरज” होती है |

अपनी गरज के कारण हीं ये सब मेरी पालकी को उठा कर यहाँ तक ले आए हैं |” यह सुन महाराज मुस्कुराए बिना नहीं रह सके और सभी मंत्री शर्म के मारे सिर झुकाए खड़े रहे |

नैतिक शिक्षा – किसी की योग्यता से जलो मत, बल्कि उससे सीखो और खुद में परिवर्तन लाओ |


03. मूर्ख लोगों की सूची | Akbar Birbal Story in Hindi

एक समय की बात है | राजा अकबर अपने दरबारियों के साथ दरबार में उपस्थित थे | अचानक उनके मन में एक बात आई | बादशाह बोले कि मेरे आस -पास हमेशा बुद्धिमान लोग रहते हैं और मैं उनके बीच रहकर ऊब गया हूँ |

मैंने फैसला किया है कि मुझे कुछ मूर्ख व्यक्तियों से मिलना चाहिए | अकबर, बीरबल से कहते हैं, “आपने हमेशा हमारी मदद अपनी बुद्धि और चतुराई से की है |

हम चाहते हैं कि इस बार भी आप ऐसा हीं कुछ करो और हमारे लिए 6 मूर्ख व्यक्तियों को ढूँढकर लेकर आओ |”

बीरबल – जी जहाँपनाह, मैं आपके लिए 6 मूर्ख व्यक्तियों को जरूर ढूँढकर लाऊँगा |

अकबर – हम आपको 6 मूर्ख व्यक्तियों को ढूंढने के लिए एक महीने का समय देते हैं |

बीरबल – जहाँपनाह, मुझे इतने अधिक समय की आवश्यकता नहीं पड़ेगी |

अकबर – ठीक है, अगर तुम उससे पहले हीं मूर्ख व्यक्तियों को ला सकते हो, तो यह अच्छी बात है |

इसके बाद बीरबल मूर्ख व्यक्तियों की तलाश में निकल पड़ा | बीरबल पूरे रास्ते यहीं सोचता रहा कि उसे वो मूर्ख लोग कहाँ मिलेंगे |

तभी उसे गदहे पर बैठा एक आदमी दिखाई दिया, जो सिर पर घास की गठरी रखे हुए था | बीरबल ने तुरंत घोड़ा रोका और उससे उसकी पहचान पूछने लगा |

बीरबल – कौन हो तुम और ऐसे गदहे पर बैठकर और घास अपने सिर पर लेकर क्यों जा रहे हो ?

व्यक्ति – मैं रामू हूँ और मेरा गदहा कमजोर व थका हुआ है, इसलिए गदहे का बोझ कम करने के लिए मैंने घास की गठरी अपने सिर पर रखी है |

यह सुनकर बीरबल सोचा कि मुझे तो पहला मूर्ख व्यक्ति मिल गया | फिर बीरबल उससे कहता है कि तुम जानवरों के बारे में इतना सोचते हो, इसलिए मैं तुम्हें बादशाह अकबर से इनाम दिलवाऊँगा |

यह कहकर बीरबल उस व्यक्ति को अपने साथ चलने के लिए कहा | इनाम की बात सुनकर रामू बीरबल के साथ चल देता है |

बीरबल और रामू कुछ हीं दूर चले थे कि बीरबल को दो व्यक्ति आपस में लड़ाई करते हुए दिखाई दिए |

बीरबल उन दोनों व्यक्तियों को लड़ने से रोकता है और उनसे पूछता है कि तुम दोनों कौन हो और किस बात के लिए आपस में लड़ रहे हो ?

पहला व्यक्ति – जनाब मेरा नाम सुनील है |

दूसरा व्यक्ति – और मेरा आकाश है |

आकाश – जनाब, मुझे सुनील कहता है कि इसके पास शेर है, जिसे वो मेरी गाय के शिकार के लिए छोड़ेगा |

सुनील – हाँ, मैं ऐसा हीं करूँगा और मुझे बहुत मजा भी आने वाला है |

बीरबल – कहाँ है तुम लोगों की गाय और शेर ?

आकाश – जनाब जब भगवान हमें वरदान देने आएंगे, तो मैं उनसे गाय मागूँगा और सुनील शेर माँगेगा, जिसे यह मेरी गाय पर छोड़ने की बात कर रहा है |

बीरबल – अच्छा! यह बात है |

उनकी बातें सुनकर बीरबल समझ गया कि उन्हें दो और मूर्ख व्यक्ति मिल गए हैं | बीरबल ने इनाम की बात कहकर उन्हें भी अपने साथ ले लिया |

उन तीनों को लेकर बीरबल अपने घर पहुँचा और फिर सोचन लगा कि बाकी के मूर्ख व्यक्ति कहाँ से ढूँढकर लाऊँ |

बीरबल उन तीनों मूर्खों को अपने घर में हीं रहने के लिए कहकर बाहर चला गया | जब बीरबल और मूर्ख लोगों को ढूँढने के लिए बाहर जाता है, तो उसे एक व्यक्ति दिखाई देता है, जो कुछ ढूँढता रहता है | बीरबल उसके पास जाकर पूछता है कि आप क्या ढूँढ रहे हैं ?

व्यक्ति – जनाब मेरी अँगूठी कहीं गिर गई है, जिसे मैं काफी समय से खोज रहा हूँ, लेकिन मुझे नहीं मिल रही है |

बीरबल – क्या आपको पता है कि अँगूठी कहाँ गिरी थी ?

व्यक्ति – दरअसल, मेरी अँगूठी यहाँ से दूर उस पेड़ के पास गिरी थी, लेकिन वहाँ अँधेरा होने के कारण मैं यहाँ उसे ढूँढ रहा हूँ |

बीरबल – अच्छा! यह बात है | आप कल हमारे साथ बादशाह के दरबार में चलो | मैं राजा अकबर से आपको दूसरी अँगूठी देने के लिए कहूँगा |

व्यक्ति – अच्छा! ठीक है फिर |

अगले दिन सुबह बीरबल दरबार में उन चारों मूर्खों को लेकर पहुँचता है |

बीरबल – बादशाह अकबर, मैं आपके कहे अनुसार मूर्ख व्यक्तियों को ढूँढ कर ले आया हूँ |

अकबर – बीरबल तुमने तो एक हीं दिन में मूर्ख व्यक्ति ढूँढ लिए, क्या हमारे राज्य में मूर्खों की संख्या अधिक है और तुम यकीन के साथ कैसे कह सकते हो कि ये व्यक्ति मूर्ख हैं ?

बीरबल ने बादशाह अकबर को सारी बातें बताई | फिर अकबर कहते हैं कि ये तो केवल चार हीं लोग हैं, बाकी के दो मूर्ख कहाँ हैं ?

बीरबल – जहाँपनाह, यहाँ पर 6 मूर्ख व्यक्ति हैं ?

अकबर – यहाँ कहाँ हैं और कौन हैं, हमें भी बताओ |

बीरबल – जहाँपनाह, एक तो मैं स्वयं हूँ |

अकबर – तुम मूर्ख कैसे हुए ?

बीरबल – मैं इसलिए मूर्ख हूँ, क्योंकि मैं इन मूर्खों को खोजकर लाया |

अकबर – फिर अकबर हँसने लगे और कहते हैं कि मैं समझ गया कि दूसरा मूर्ख कौन है पर मैं तुमसे सुनना चाहता हूँ |

बीरबल – दूसरे आप हैं जहाँपनाह, जो आपने मुझे मूर्ख व्यक्तियों को लाने के लिए कहा |

बीरबल की बातें सुनकर अकबर उनकी प्रशंसा करने लगते हैं और कहते हैं कि बीरबल के पास हर सवाल का जवाब होता है |

नैतिक शिक्षा – दिमाग और चतुराई से हर मुश्किल काम को आसान बनाया जा सकता है, लेकिन ऐसे कामों में अपना कीमती समय व्यर्थ नहीं करना चाहिए, जिसका कोई अर्थ हीं न हो |


04. सोने का खेत | Akbar Birbal Story in Hindi

राजा अकबर के महल में सजावट के लिए कई कीमती वस्तुएँ थीं, मगर उन्हें एक गुलदस्ते से खास लगाव था। यह गुलदस्ता हमेशा अकबर के पलंग के पास हीं रहता था |

एक दिन अचानक वह गुलदस्ता टूट गया, जब सेवक राजा अकबर का कमरा साफ कर रहा था | सेवक घबरा गया, उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था |

उसने गुलदस्ते को जोड़ने की बहुत कोशिश की, मगर असफल रहा | अंत में हार मानकर उसने टूटा हुआ गुलदस्ता कूड़ेदान में फेंक दिया और दुआ करने लगा कि राजा अकबर को इस बारे में कुछ पता न चले |

कुछ देर बाद महराज अकबर जब बाहर से महल लौटे, तो उन्होंने देखा कि उनका प्यारा गुलदस्ता अपनी जगह पर नहीं है | उन्होंने सेवक से उस गुलदस्ते के बारे में पूछा, तो सेवक डर के मारे थर – थर काँपने लगा |

सेवक को जल्दी में कोई अच्छा बहाना नहीं सूझा, तो उसने कहा कि महाराज ! उस गुलदस्ते को मैं अपने घर ले गया हूँ, ताकि उसे अच्छे से साफ कर सकूँ | यह सुनते हीं राजा अकबर बोले – मुझे तुरंत वो गुलदस्ता लाकर दो |

अब सेवक के पास बचने का कोई रास्ता नहीं था | सेवक ने महराज अकबर को सच बता दिया कि वो गुलदस्ता टूट चुका है | यह सुनकर राजा आग बबूला हो गए |

क्रोध में आकर राजा अकबर ने उस सेवक को फाँसी की सजा सुना दी | राजा ने कहा – झूठ मैं कभी बर्दाश्त नहीं करता हूँ | जब गुलदस्ता टूट हीं गया था, तो झूठ बोलने की क्या जरूरत थी |

अगले दिन इस घटना के बारे में जब सभा में जिक्र हुआ तो बीरबल ने इस बात का विरोध किया | बीरबल बोले कि झूठ हर व्यक्ति कभी – न – कभी बोलता हीं है |

किसी के झूठ बोलने से अगर कुछ बुरा या गलत नहीं होता, तो झूठ बोलना गलत नहीं है | बीरबल के मुँह से ऐसे शब्द सुनकर महाराज अकबर उसी समय बीरबल पर भड़क गए |

उन्होंने सभा में लोगों से पूछा कि कोई यहाँ ऐसा है, जिसने झूठ बोला हो | सबने राजा को कहा कि नहीं वो झूठ नहीं बोलते | यह बात सुनते हीं राजा अकबर ने बीरबल को राज्य से निकाल दिया |

राजदरबार से निकलने के बाद बीरबल ने ठान ली कि वो इस बात को साबित करके हीं रहेंगे कि हर व्यक्ति अपने जीवन में कभी – न – कभी झूठ बोलता है |

बीरबल के दिमाग में एक तरकीब आई, जिसके बाद बीरबल सीधे सुनार के पास गए। उन्होंने जौहरी से गेहूँ जैसी दिखने वाली सोने की बाली बनवाई और उसे लेकर महाराज अकबर की सभा में पहुँच गए |

अकबर ने जैसे हीं बीरबल को सभा में देखा तो पूछा कि अब तुम यहाँ क्यों आए हो ? बीरबल बोले – जहाँपनाह आज ऐसा चमत्कार होगा, जो किसी ने कभी नहीं देखा होगा | बस आपको मेरी पूरी बात सुननी होगी |

राजा अकबर और सभी सभापतियों की जिज्ञासा बढ़ गई और राजा ने बीरबल को अपनी बात कहने की अनुमति दे दी | बीरबल बोले – आज मुझे रास्ते में एक सिद्ध पुरुष के दर्शन हुए |

उन्होंने मुझे यह सोने से बनी गेहूँ की बाली दी है और कहा कि इसे जिस भी खेत में लगाओगे, वहाँ सोने की फसल उगेगी | अब इसे लगाने के लिए मुझे आपके राज्य में थोड़ी – सी जमीन चाहिए |

राजा ने कहा – यह तो बहुत अच्छी बात है, चलो हम तुम्हें जमीन दिला देते हैं | अब बीरबल कहने लगे कि मैं चाहता हूँ कि पूरा राजदरबार यह चमत्कार देखे | बीरबल की यह बात मानते हुए पूरा राजदरबार खेत की ओर चल पड़ा |

खेत में पहुँचकर बीरबल ने कहा कि इस सोने से बनी गेहूँ की बाली से फसल तभी उगेगी, जब इसे ऐसा व्यक्ति लगाए, जिसने जीवन में कभी झूठ न बोला हो |

बीरबल की बात सुनकर सभी राजदरबारी खामोश हो गए और कोई भी उस गेहूँ की बाली को लगाने के लिए तैयार नहीं हुआ |

राजा अकबर बोले कि क्या राजदरबार में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है, जिसने अपने जीवन में कभी झूठ न बोला हो ? सभी खामोश थे |

बीरबल बोले – जहाँपनाह ! अब आप हीं इस बाली को खेत में रोप दीजिए | बीरबल की यह बात सुनकर महाराज का सिर झुक गया | उन्होंने कहा – बचपन में मैंने भी कई झूठ बोले हैं, तो मैं इसे कैसे लगा सकता हूँ |

इतना कहते हीं बादशाह अकबर को यह बात समझ आ गई कि बीरबल सही कह रहे थे कि इस दुनिया में सभी कभी – न – कभी झूठ बोलते हैं | इस बात का एहसास होते हीं अकबर उस सेवक की फाँसी की सजा को रोक देते हैं |

नैतिक शिक्षा – क्रोध में लिया गया फैसला हमेशा गलत होता है |


05. जोरू का गुलाम | Akbar Birbal Story in Hindi

एक बार की बात है | राजा अकबर और बीरबल दरबार में खास मामलों पर चर्चा कर रहे थे तभी बीरबल ने अकबर से कहा, “मुझे लगता है कि ज्यादातर पुरुष जोरू के गुलाम होते हैं और अपनी पत्नियों से डर कर रहते हैं |”

बीरबल की इस बात से राजा अकबर बिलकुल असहमत थे | उन्होंने इस बात का विरोध किया तो बीरबल भी अपनी बात मनवाने पर अड़ गए |

उन्होंने महराजा अकबर से कहा कि वे अपनी बात को सिद्ध कर सकते हैं मगर इसके लिए आपको जनता के बीच एक आदेश जारी करवाना होगा |

वह आदेश यह था कि जिस पुरुष के अपनी जोरू से डरने की बात सामने आएगी, उसे दरबार में एक मुर्गी जमा कराना होगा | राजा अकबर बीरबल की इस बात पर राजी हो गए |

अगले हीं दिन जनता के बीच आदेश दिया गया कि अगर यह बात सिद्ध हो जाती है कि कोई पुरुष अपनी पत्नी से डरता है, तो उसे दरबार में आकर बीरबल के पास एक मुर्गी जमा करवानी पड़ेगी |

देखते हीं देखते बीरबल के पास बहुत सारी मुर्गियाँ इकठ्ठा हो गईं और हजारों मुर्गियाँ महल के बगीचे में घूमने लगीं |

अब बीरबल राजा के पास पहुँचे और बोले, “महाराज ! महल में इतनी मुर्गियाँ इकट्ठा हो गई हैं कि आप एक मुर्गीखाना खोल सकते हैं, इसलिए अब आप इस आदेश को वापिस ले लीजिए |” 

महाराज ने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया और महल में मुर्गियों की संख्या धीरे – धीरे और भी ज्यादा बढ़ गई |

इतनी अधिक मुर्गियाँ महल में जमा हो जाने के बाद भी जब राजा अकबर बीरबल की बात से सहमत नहीं हुए, तो बीरबल ने अपनी बात सिद्ध करने के लिए एक नई तरकीब निकाली |

एक दिन बीरबल राजा अकबर के पास गए और बोले, “महाराज ! मैंने सुना है कि पड़ोस के राज्य में एक बहुत की खूबसूरत राजकुमारी रहती है | अगर आप कहें तो मैं आपका रिश्ता वहाँ पक्का कर आऊँ ?”

यह सुनते हीं राजा अकबर चौंककर बोले, “बीरबल ! तुम ये कैसी बातें कर रहे हो ? महल में पहले से हीं दो महारानियाँ मौजूद हैं | अगर उन्हें इस बात की भनक भी लगी तो मेरी खैर नहीं होगी |”

यह सुनकर बीरबल ने झट से जवाब दिया, “महाराज, फिर तो आपको भी मेरे पास दो मुर्गियाँ जमा करान पड़ेगा |” राजा अकबर बीरबल का ऐसा जवाब सुनकर शरमा गए और उन्होंने अपना आदेश उसी समय वापस ले लिया |

कहानी से सीख – बीरबल अपनी बुद्धि और चतुराई से महाराज अकबर को हर सवाल का जवाब दे देते थे |
खाने के बाद लेटना 

दोपहर का समय था, बादशाह अकबर अपने दरबार में बैठे कुछ सोच रहे थे | अचानक उन्हें बीरबल की कही हुई एक कहावत याद आई, जो कुछ इस तरह से थी कि “खाने के बाद लेटना और मारने के बाद भागना” एक सयाने मनुष्य की निशानी होती है |

बादशाह अकबर ने सोचा, “अभी दोपहर का समय है | बीरबल खाने के बाद सोने की तैयारी में होगा | चलो, आज उसकी बात को गलत साबित किया जाए |”

यहीं सोचकर उन्होंने अपने एक सेवक को आदेश दिया कि इसी समय बीरबल को दरबार में उपस्थित होने का संदेश दिया जाए |

बीरबल अभी खाना खाकर बैठे हीं थे कि सेवक राजा का आदेश लेकर बीरबल के पास पहुँचा | बीरबल आदेश के पीछे की वजह को समझ गए | उन्होंने सेवक से कहा, “तुम थोड़ी देर यहीं रुको | मैं कपड़े बदलकर तुम्हारे साथ हीं चलता हूँ |”

अंदर जाकर बीरबल ने अपने लिए एक तंग पजामा चुना | पजामा तो तंग था इसलिए उसे पहनने के लिए उन्हें बिस्तर पर लेटना पड़ा |

पजामे को पहनने का बहाना कर वे थोड़ी देर बिस्तर पर हीं लेटे रहे और फिर सेवक के साथ दरबार की ओर चल दिए |

दरबार में राजा अकबर बीरबल का इंतजार रहे थे | उनके दरबार में पहुँचते हीं राजा ने पूछा, “क्यों बीरबल ! आज खाने के बाद लेटे थे या नहीं ?”

बीरबल ने जवाब दिया, “जी महाराज ! मैं जरूर लेट गया था |” यह सुनकर राजा को बहुत क्रोधित हुए |

रजा अकबर ने बीरबल से पूछा, “इसका अर्थ यह है कि तुमने मेरे आदेश का सम्मान नहीं किया | तुम उसी समय दरबार में हमारे सामने उपस्थित क्यों नहीं हुए ? इसके लिए मैं तुम्हें सजा देता हूँ |”

बीरबल ने तुरंत जवाब दिया, “महाराज ! ये सत्य है कि मैं थोड़ी देर लेटा था लेकिन मैंने आपके आदेश की अवहेलना नहीं की है | आपको मुझ पर विश्वास न हो तो आप सेवक से इस बारे में पूछ सकते हैं |

हाँ, ये अलग बात है कि मुझे इस तंग पजामे को पहनने के लिए बिस्तर पर लेटना पड़ा था |” बीरबल की इस बात को सुनकर अकबर हँसे बिना नहीं रह सके और उन्होंने बीरबल को दरबार से जाने का आदेश दे दिया |

नैतिक शिक्षा – परिस्थिति को भाँपकर हम अपने एक कदम से अनेक मुसीबतों से बच सकते हैं |


06. जब बीरबल बने बच्चा | Akbar Birbal Story in Hindi

एक बार की बात है | बीरबल को दरबार आने में देरी हो गई | राजा अकबर बेसब्री से बीरबल का इंतजार कर रहे थे | जैसे हीं बीरबल दरबार में पहुँचे तो अकबर ने उनसे देर करने का कारण पूछा |

बीरबल बोले कि आज जब वह घर से निकल रहे थे तो उनके छोटे- छोटे बच्चों ने उन्हें रोक दिया और कहीं न जाने की जिद करने लगे | किसी तरह बच्चों को समझाकर निकलने में हीं देरी हो गई |

राजा को बीरबल की इन बातों पर तनिक भी विश्वास नहीं हुआ, उन्होंने सोचा कि बीरबल देर से आने का झूठा बहाना कर रहे हैं |

उन्होंने बीरबल को कहा कि बच्चों को मनाना इतना भी कठिन काम नहीं है | अगर वे ना मानें तो थोड़ा डाँटकर उन्हें शांत किया जा सकता है |

बीरबल तो इस बात से परिचित थे कि बच्चों के मासूम सवालों और जिद्द को पूरा करना बहुत हीं मुश्किल होता है | जब महाराज अकबर इस बात से संतुष्ट न हो पाए तो बीरबल को एक उपाय सूझा |

उन्होंने राजा के सामने एक शर्त रखी | उन्होंने कहा कि वह इस बात को सिद्ध कर सकते हैं कि छोटे बच्चों को समझाना बहुत मुश्किल होता है, मगर इसके लिए उन्हें एक छोटे बच्चे के जैसे व्यवहार करना होगा व राजा को उन्हें समझाना होगा |

महाराज अकबर इस शर्त के लिए तैयार हो गए | अगले हीं पल बीरबल एक बच्चे के जैसे चिल्लाने और रोने लगे | राजा ने उन्हें मनाने के लिए उन्हें अपनी गोद में उठा लिया |

बीरबल गोद में बैठकर राजा की लंबी मूछों से खेलने लगे | कभी वे बच्चों की तरह मुंह बिगाड़ते तो कभी मूछों को खींचने लगते |

अभी तक राजा को कोई आपत्ति नहीं हो रही थी | जब बीरबल मूछों से खेलकर थक गए तो गन्ना खाने की जिद करने लगे |

राजा ने बच्चा बने बीरबल के लिए गन्ना लाने का आदेश दिया | जब गन्ना लाया गया तो बीरबल ने नयी जिद पकड़ ली कि उन्हें छिला हुआ गन्ना चाहिए |

एक सेवक द्वारा गन्ने को छिला गया | अब बीरबल जोर-जोर से चिल्लाने लगे कि उन्हें गन्ना छोटे-छोटे टुकड़ों मे कटा हुआ हीं चाहिए |

उनकी जिद को पूरा करने के लिए गन्ने को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा गया | जब राजा ने इन टुकड़ों को बीरबल को खाने के लिए दिया तो बीरबल ने उन टुकड़ों को जमीन पर फेंक दिया |

अकबर को यह देखकर बहुत गुस्सा आया | उन्होंने गुस्से से बीरबल से पूछा, “तुमने गन्ने को नीचे क्यों फेंका ? चुपचाप से इसे खा लो |” डांट सुनकर बीरबल अब और भी जोर से रोने व चीखने लगे |

अकबर ने प्यार से पूछा, “कहो बीरबल ! तुम क्यों रो रहे हो ?” बीरबल ने जवाब दिया, “मुझे अब छोटा नहीं एक बड़ा गन्ना चाहिए |” अकबर ने उन्हें एक बड़ा गन्ना लाकर दिया, मगर बीरबल ने उस बड़े गन्ने को हाथ तक नहीं लगाया |

अब राजा अकबर का गुस्सा बढ़ रहा था | उन्होंने बीरबल से कहा कि “तुम्हारी जिद के अनुसार तुम्हें बड़ा गन्ना लाकर दिया गया है, तुम इसे न खाकर रो क्यों रहे हो ?” बीरबल ने जवाब दिया |

“मुझे इन्हीं छोटे-छोटे टुकड़ों को जोड़कर एक बड़ा गन्ना खाना है |” राजा ने बीरबल की इस जिद्द को सुनकर अपना सिर पकड़ लिया और अपनी जगह जाकर बैठ गए |

बादशाह अकबर को परेशान देखकर बीरबल ने बच्चा बनने का नाटक खत्म किया और राजा के समक्ष गए | उन्होंने राजा से पूछा, “क्या अब आप इस बात से सहमत हैं कि बच्चों को समझाना यकीनन एक मुश्किल काम है ?” राजा ने हाँ में सिर हिलाया और बीरबल को देख मुस्कुराने लगे |

नैतिक शिक्षा – इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि बच्चे बहुत मासूम होते हैं | उनके नादानी वाले सवाल का जवाब हम प्यार से समझाकर दे सकते हैं |


07. सबसे बड़ा मनहूस कौन? | Akbar Birbal Story in Hindi

एक बार की बात है | बादशाह अकबर बिस्तर से हीं अपने सेवकों को पानी लाने का आदेश दे रहे थे | उसी समय बादशाह के कमरे के पास से कचरा साफ करने वाला सेवक गुजर रहा था |

उसने जब देखा कि बादशाह अकबर को प्यास लगी है मगर उनके पास कोई सेवक नहीं है तो वो खुद हीं बादशाह के लिए पानी ले गया |

उस कूड़ा उठाने वाले सेवक को पानी लिए अपने कमरे में खड़ा देखकर अकबर चौंक गए मगर उन्हें प्यास बहुत लगी थी | ऐसे में बिना ज्यादा सोचे-समझे अकबर ने उसका लाया हुआ पानी पी लिया |

उसी समय अकबर के कुछ खास कार्यकर्ता उनके कमरे में पहुँचे | उन्होंने कूड़ा उठाने वाले सेवक को वहाँ देखते हीं उसे कमरे से तुरंत बाहर जाने के लिए कहा |

फिर उन्होंने कुछ देर बादशाह से बात की और कमरे से बाहर चले गए | कुछ देर बाद बादशाह अकबर का पेट खराब होने लगा | जैसे-जैसे दिन ढलता गया, उनकी तबीयत और बिगड़ती गई |

बादशाह की ऐसी हालत देखकर हकीम को बुलवाया गया मगर दवाई खाने के बाद भी उनकी तबीयत में कोई सुधार नहीं हो रहा था |

राजवैद्य ने बादशाह को ज्योतिष बुलवाने का सुझाव देते हुए कहा, “बादशाह ! लगता है आप पर किसी मनहूस इंसान का साया पड़ गया है।”

राज वैद्य की बात मानते हुए अकबर ने ज्योतिष को बुलाने का आदेश दिया | अकबर सोचने लगे कि किसी मनहूस की परछाई तो मुझपर पड़ी नहीं | बस कूड़ा साफ करने वाले का लाया हुआ पानी मैंने पिया था |

यह सोचते हीं उन्होंने उस कचरा साफ करने वाले कर्मचारी को मौत की सजा सुना दी | बादशाह का आदेश मिलते हीं सिपाहियों ने उस सेवक को जेल में डाल दिया |

कुछ देर बाद बादशाह के इस आदेश के बारे में बीरबल को पता चला | वो तुरंत उस सेवक के पास पहुँचे और कहा कि तुम चिंता मत करना, मैं किसी तरह से तुम्हें बचा हीं लूँगा |

इतना कहकर बीरबल तुरंत बादशाह अकबर के पास गए | बीरबल ने बादशाह अकबर से पूछा, “आपको क्या हुआ है ? कैसे इतना बीमार पड़ गए ?”

जवाब में अकबर बोले, “बीरबल एक मनहूस इंसान की छाया मेरे ऊपर पड़ गई और मैं बीमार हो गया |” बादशाह का जवाब सुनते हीं बीरबल उनके सामने हीं हँसने लगे |

यह देखकर अकबर को बहुत बुरा लगा | अकबर बोले, “ बीरबल तुम मेरी बीमारी का मजाक उड़ा रहा हो |”

बीरबल ने कहा, “नहीं -नहीं जहाँपनाह, मुझे तो बस इतना कहना है कि अगर मैं आपके सामने उस कूड़ा उठाने वाले नौकर से भी बड़ा मनहूस इंसान ले आऊँ तो क्या आप नौकर की सजा माफ कर देंगे ?

अकबर ने पूछा, “उससे भी बड़ा मनहूस कोई हो सकता है क्या ? ठीक है, तुम किसी बड़े मनहूस को ले आते हो तो मैं उस व्यक्ति को मुक्त कर दूंगा |”

तभी झट से बीरबल बोल पड़े कि महाराज, उससे बड़े मनहूस आप स्वयं हीं हैं | उस मामूली नौकर ने तो बस आपकी प्यास बुझाने के लिए आपको पानी दिया मगर आपको लग रहा है कि उसके कारण आपकी तबीयत खराब हो गई है |

उस बेचारे नौकर का तो सोचिए जरा, वो तो आपको पानी पिलाने की वजह से जेल में पहुँच गया | सुबह-सुबह आपको देखने की वजह से उसका दिन तो छोड़िए पूरा जीवन बर्बाद हो गया |

अब कुछ देर में उसे मौत की सजा मिल जाएगी | अब आप हीं बताइए तबीयत खराब होना बड़ी मनहूसियत है या मौत की सजा मिलना |

आगे बीरबल बोले, “अब आप खुद को मौत की सजा मत देना, क्योंकि आप हम सबके बादशाह हैं और हमें जान से भी ज्यादा प्यारे हैं |”

बीरबल की ऐसी बुद्धिमता वाली बातें सुनकर बीमार अकबर जोर से हँस पड़े | उन्होंने तुरंत हीं सिपाहियों को कचरा उठाने वाले उस नौकर को जेल से रिहा करने का आदेश दिया | साथ हीं उसकी मौत की सजा भी माफ कर दी |

नैतिक शिक्षा – हमें कभी भी अंधविश्वासी नहीं होना चाहिए | किसी के बहकावे में आकर फैसला नहीं करना चाहिए |


08. सबसे बड़ा हथियार | Akbar Birbal Story in Hindi

बादशाह अकबर कामकाज के अलावा भी कई चीजों के बारे में बीरबल से बातचीत किया करते थे | ऐसे हीं अचानक एक दिन बादशाह ने बीरबल से पूछा कि इस दुनिया में सबसे बड़ा हथियार तुम्हारे हिसाब से कौन-सा होता है ?

इस बात के जवाब में बीरबल ने कहा कि संसार में आत्मविश्वास से बड़ा हथियार कुछ भी नहीं है | यह बात अकबर के समझ में नहीं आई मगर फिर भी उन्होंने कुछ नहीं कहा | उन्होंने सोचा कि समय आने पर इस बात की परख की जाएगी |

कुछ दिनों बाद राज्य में एक हाथी बेकाबू हो गया | पता लगा कि वो पागल हो गया है | उस पागल हाथी को सिपाहियों ने जंजीरों से जकड़ रखा था |

इसकी खबर जैसे हीं बादशाह अकबर को पहुँची तो उन्होंने सीधे महावत से कहा कि जब भी तुम्हें बीरबल आता दिखे तो हाथी की जंजीरों को खोल देना |

ऐसा आदेश सुनकर महावत हैरान हो गया मगर बादशाह का आदेश था इसलिए सिर झुकाकर चला गया | अब अकबर ने बीरबल को महावत के पास जाने के लिए कहा |

महावत ने भी बादशाह के आदेश का पालन करते हुए बीरबल को आते देख हाथी को जंजीरों से मुक्त कर दिया | बीरबल को इस बात की खबर नहीं थी इसलिए वो आराम से चल रहे थे | तभी उनकी नजर चिंघाड़ते हुए हाथी पर पड़ी |

जैसे हीं उन्होंने देखा कि हाथी उनकी हीं तरफ बढ़ रहा है | वो कुछ समझ नहीं पाए |कुछ ही देर में उनके दिमाग में हुआ कि बादशाह ने मेरी आत्मविश्वास वाली बात को परखने के लिए हीं इस हाथी को मेरे पीछे छोड़ने का आदेश दिया होगा |

अब बीरबल इधर-उधर भागने की सोच रहे थे मगर ऐसा कुछ हो नहीं पाया | सामने से हाथी आ रहा था और अगल-बगल में भागने की जगह नहीं थी |

इतनी देर में हाथी बीरबल के काफी करीब पहुँचा गया | तभी बीरबल ने सामने एक कुत्ते को देखा और उसे टांगों से पकड़कर हाथी की तरफ फेंक दिया |

कुत्ता चीखते हुए हाथी से टकराया | उसकी ऐसी चीखें सुनकर हाथी वापस उल्टी दिशा में भागने लगा | कुछ हीं देर में इस बारे में बादशाह अकबर को पता चला तब जाकर उन्होंने माना कि आत्मविश्वास हीं मनुष्य का सबसे बड़ा हथियार है |

नैतिक शिक्षा – संसार में आत्मविश्वास सबसे बड़ा हथियार है |


09. अकबर का साला | Akbar Birbal Story in Hindi

बीरबल की चतुराई और समस्या का हल खोज लेने की कला के कारण बादशाह अकबर उन्हें बहुत पसंद किया करते थे | इसी वजह से दरबार के कई लोग बीरबल से जलन की भावना रखते थे |

जलने वालों लोगों में से एक अकबर का साला भी था | वो हमेशा से ही बीरबल को पीछे कर उस खास स्थान और सम्मान को लेना चाहता था, जो बीरबल को मिला हुआ था |

बादशाह अकबर जानते थे कि बीरबल जैसा बुद्धिमान कोई और नहीं है | वो अपने साले को भी ये बात समझाने की कोशिश करते थे मगर उनका साला हमेशा कहता कि वो भी बहुत बुद्धिमान है |

इन सब बातों के कारण बादशाह अकबरसमझ गए कि यह ऐसे नहीं मानेगा | इसे कोई कम देकर हीं समझान पड़ेगा |

तभी बादशाह अकबर ने अपने साले से कहा कि तुम अपनी सूझबूझ से इस कोयले की बोरी को लालची सेठ दमड़ी लाल के पास बेचकर आओ | यदि तुमने ऐसा कर दिया तो मैं तुम्हें तुरंत बीरबल की जगह नियुक्त कर दूँगा |

यह बात सुनकर अकबर का साला आश्चर्यचकित हुआ मगर उसे तो बीरबल की जगह पानी थी | इसी सोच के साथ वो कोयले की बोरी को लेकर सेठ दमड़ी लाल के पास पहुँचा |

सेठ ऐसे हीं किसी के बहकावे में आने वाला नहीं था इसलिए उसने कोयला खरीदने से मना कर दिया |

उदास चेहरा लिए अकबर का साला महल में लौट आया और उसने बादशाह अकबर को बताया कि मैं इसे नहीं बेच पाया | इतना सुनते हीं बादशाह ने बीरबल को अपने पास बुलाया |

बादशाह अकबर ने अपने साले के सामने हीं बीरबल से कहा कि तुम्हें सेठ दमड़ी लाल को यह कोयले की बोरी बेचनी है |

बादशाह अकबर का आदेश सुनकर बीरबल ने कहा कि आप एक बोरी बेचने की बात कह रहे हैं | मैं उस सेठ को एक कोयले का टुकड़ा हीं दस हजार में बेच सकता हूँ | बीरबल की बात सुनकर अकबर का साला दंग रह गया |

अकबर ने कहा – ठीक है ! तुम कोयले का एक हीं टुकड़ा बेच आओ | बीरबल कोयले का एक टुकड़ा उठाकर वहां से चले गए |

बीरबल ने अपने लिए एक मलमल के कपड़े का कुर्ता सिलवाया, फिर उसे पहनकर अपने गले में हीरे-मोती की मालाएँ पहन लीं और साथ में महंगे जूते भी पहन लिए |

इतना सब करने के बाद बीरबल ने उस कोयले के टुकड़े को सुरमा यानी काजल की तरह बारीक पीसकर एक काँच की डिब्बी में डलवा लिया | इसी भेष-भूषा में वो महल के मेहमानघर में रहने के लिए चले गए |

बीरबल ने एक इश्तिहार दिया कि बगदाद से एक जाने – माने शेख पहुँचे हैं, जो जादुई सुरमा बेचते हैं |

सुरमे की खासियत के बारे में बीरबल ने बताया कि इसे लगाने वाला अपने पूर्वजों को देख सकता है | यदि पूर्वजों ने कहीं पर धन छुपाकर रखा है, तो वो उसका पता भी बता देंगे |

इस इश्तिहार के सामने आते हीं पूरे नगर में बीरबल के शेख रूप और चमत्कारी सुरमे की बात की चर्चा होने लगी | सेठ दमड़ी लाल के पास भी यह खबर पहुँच गई | उसने सोचा कि मेरे पूर्वज ने जरूर कहीं न कहीं धन छुपा रखा होगा |

मुझे अभी उस बगदाद वाले शेख से संपर्क करना चाहिए | इतना सोचकर सेठ दमड़ी लाल बगदाद के शेख बने बीरबल के पास पहुँचा | सेठ दमड़ी लाल ने शेख से कहा कि मुझे चमत्कारी सुरमे वाली डिब्बी चाहिए |

शेख ने जवाब दिया – बिल्कुल लीजिए मगर एक डिब्बी की कीमत दस हजार रुपये है | सेठ दमड़ी लाल बहुत हीं चालाक था |

उसने शेख से कहा कि मैं पहले इस सुरमा को अपनी आँखों पर लगाना चाहता हूँ | अगर मुझे अपने पूर्वज दिखेंगे तभी मैं आपको दस हजार रुपये दूँगा |

शेख ने कहा – ठीक है ! आपको ऐसा करने की बिलकुल इजाजत है | सुरमे की जाँच के लिए आपको चौराहे पर चलना होगा | चमत्कार से भरे सुरमे का करिश्मा देखने के लिए वहां लोगों की भीड़ इकठ्ठा हो गई |

तब शेख लोगों से जोर-जोर से कहने लगे कि इस चमत्कारी सुरमे को सेठ जी अपनी आँखों पर लगाएँगे | अगर सेठ दमड़ी लाल अपने माता-पिता की असली औलाद हैं, तो सुरमा लगाते हीं इनके पूर्वज इनको नजर आ जाएँगे |

अगर इनके पूर्वज नहीं दिखे, तो इसका अर्थ यह होगा कि ये अपने माता-पिता की औलाद नहीं हैं | असली औलाद हीं इस सुरमा को लगाने पर अपने पूर्वज को देख पाते हैं |

ये सारी बात बताने के बाद शेख ने सेठ के आंखों पर सुरमा लगा दिया और कहा कि अपनी आँखें बंद कर लीजिए | सेठ दमड़ी लाल ने अपनी आंखें बंद तो की मगर उन्हें कोई नहीं दिखा दिया |

सेठ ने मन हीं मन सोचा कि मैंने अगर यह कह दिया कि मुझे कोई नहीं दिखा तो भारी अपमान हो जाएगा | अपनी इज्जत को बचाए रखने के लिए सेठ दमड़ी लाल ने आँख खोली और कहा कि मैंने अपने पूर्वजों को देखा |

इसके बाद गुस्से में लाल सेठ दमड़ी लाल ने शेख के हाथ में 10 हजार रुपये थमा दिए | बीरबल खुश होकर महल चले गए | उन्होंने सारा किस्सा बादशाह अकबर को सुनाया कि कैसे उन्होंने एक कोयले के 10 हजार रुपये में बेच दिया |

बीरबल की बातें सुनकर बादशाह अकबर का साला मुंह बनाकर महल से चला गया | उसके बाद उसने कभी भी बीरबल की जगह लेने की बात बादशाह अकबर से नहीं की |

नैतिक शिक्षा – हमें किसी से ईर्ष्या का भाव नहीं रखना चाहिए |


10. आगरा का रास्ता | Akbar Birbal Story in Hindi

बादशाह अकबर को शिकार करना बहुत पसंद था | एक बार की बात है | बादशाह अकबर अपने सैनिकों के साथ जंगल में शिकार पर निकले | शिकार करते-करते वो इतने आगे निकल गए कि वो अपने दल से छूट गए |

उनके साथ बस कुछ हीं सैनिक बच गए थे | अब शाम हो चली थी और सूरज भी ढलने वाला था | बादशाह अकबर और उनके सैनिकों को अब भूख भी लग गई थी |

काफी दूर चल आने पर बादशाह अकबर को यह एहसास हुआ कि वो रास्ता भटक गए हैं | वहाँ आस-पास कोई आदमी भी नजर नहीं आ रहा था, जिससे रास्ते के बारे में पूछा जा सकता था |

थोड़ी दूर और चलने पर उन्हें एक तिराहा नजर आया | बादशाह अकबर यह देख कर थोड़े खुश हुए कि चलो इनमें से कोई न कोई रास्ता राजधानी तक तो चला हीं जाएगा |

मगर सभी लोग इसी उलझन में थे कि किस रास्ते पर चला जाए | तभी सैनिकों की नजर सड़क किनारे खड़े एक छोटे से लड़के पर पड़ी |

वह लड़का बड़ी हैरानी से महाराज के घोड़े और सैनिकों के हथियारों को देख रहा था | सैनिकों ने उस बालक को पकड़कर बादशाह अकबर के सामने पेश किया |

बादशाह अकबर ने लड़के से पूछा – बच्चे ! इनमें से कौन सा रास्ता आगरा की तरफ जाता है ? यह बात सुनकर वह बच्चा जोर-जोर से हँसने लगा | यह देखकर बादशाह अकबर को बहुत गुस्सा आया |

मगर उन्होंने शांत भाव से उस बच्चे से उसकी हँसी का कारण पूछा | उस बच्चे ने जवाब दिया – यह रास्ता चल नहीं सकता है तो यह आगरा कैसे जाएगा | अगर आपको आगरा पहुँचना है तो उसके लिए तो आपको खुद चलना पड़ेगा |

महाराज ! उस लड़के की सूझबूझ को देख कर चकित रह गए | उन्होंने खुश होकर उस बच्चे का नाम पूछा | लड़के ने जवाब में अपना नाम महेश दास बताया |महाराज ने उसे इनाम में सोने की अंगूठी दी और अपने दरबार में आने का न्योता दिया |

इसके बाद बादशाह अकबर ने लड़के से पूछा – क्या तुम मुझे बता सकते हो कि हम किस रास्ते पर चलकर आगरा पहुँच सकते हैं ?

लड़के ने बड़ी हीं शालीनतापूर्वक बादशाह अकबर को सही रास्ता बताया और महाराज अपने सैनिकों के साथ आगरा की ओर चल पड़े | यहीं लड़का बड़ा होकर बीरबल के नाम से प्रसिद्ध हुआ तथा बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक कहलाया |

नैतिक शिक्षा – हमें हर किसी के ज्ञान और सूझबूझ का सम्मान करना चाहिए |


11. कौओं की संख्या | Akbar Birbal Story in Hindi

एक बार की बात है | राजा अकबर ने बीरबल से पूछा कि हमें ये बताइए कि हमारे राज्य में कितने कौएँ हैं | बीरबल बोले – महाराज, हमें इस प्रश्न के उत्तर के लिए दो दिन का समय चाहिए |

अकबर बोले – ठीक है, हमने आपको दो दिन का समय दिया | बीरबल दरबार से चले गए | दो दिनों तक बीरबल दरबार में नहीं आए |

दो दिन बाद बीरबल जब दरबार में आए तो राजा अकबर ने उनसे पूछा कि बताइए बीरबल हमारे राज्य में कितने कौएं हैं | 

बीरबल बोले – महाराज ! हमारे राज्य में 8866 कौएँ हैं | राजा अकबर बोले कि आप इतने यकीन के साथ कैसे कह सकते हैं कि इतने कौएँ है |

बीरबल बोले – महाराज ! अगर इससे ज्यादा कौएँ होंगे तो उनके रिश्तेदार यहाँ आए होंगे और यदि कम हुए तो यहाँ के कौएँ दूसरी जगह अपने रिश्तेदार के पास गए होंगे |

अकबर बीरबल का यह जवाब सुनकर बहुत प्रसन्न हुए और तारीफ करते हुए बोले कि आप से ज्यादा बुद्धिमान कोई नहीं हैं और बीरबल को उन्होंने ढेर सारा ईनाम भी दिया |

नैतिक शिक्षा – बुद्धि से हर सवाल का हल संभव है |


12. इनाम की घोषणा | Akbar Birbal Story in Hindi

बीरबल की समझदारी और हाजिर जवाबी से बादशाह अकबर बहुत खुश रहा करते थे | बीरबल किसी भी समस्या को चुटकियों में निपटा देते थे | एक दिन बीरबल की समझदारी से खुश होकर बादशाह अकबर ने उन्हें इनाम देने की घोषणा कर दी |

काफी वक्त बीत गया और बादशाह अकबर इस घोषणा के बारे में भूल गए | उधर बीरबल इनाम मिलने की प्रतीक्षा कर रहे थे | बीरबल इस उलझन में थे कि वो बादशाह अकबर को इनाम की बात किस तरह याद दिलाएँ |

एक शाम बादशाह अकबर यमुना नदी के किनारे सैर का आनंद उठा रहे थे कि उन्हें वहाँ एक ऊँट घूमता हुआ दिखाई दिया | ऊँट की गर्दन को देख बादशाह अकबर ने बीरबल से पूछा, “बीरबल, क्या तुम जानते हो कि ऊँट की गर्दन मुड़ी हुई क्यों होती है ?”

बादशाह अकबर का प्रश्न सुनते हीं बीरबल को उन्हें इनाम की बात याद दिलाने का मौका मिल गया | बीरबल से झट से उत्तर दिया, “महाराज, दरअसल यह ऊँट किसी से किया हुआ अपना वादा भूल गया था, तब से इसकी गर्दन ऐसी हो गई है |

बीरबल ने आगे कहा, “लोगों का यह मानना है कि जो भी व्यक्ति अपना किया हुआ वादा भूल जाता है, उसकी गर्दन इसी तरह मुड़ जाती है |” बीरबल की बात सुनकर बादशाह हैरान हो गए और उन्हें बीरबल से किया हुआ अपना वादा याद आ गया |

उन्होंने बीरबल से जल्दी महल चलने को कहा | महल पहुँचते हीं बादशाह अकबर ने बीरबल को इनाम दिया और उससे पूछा, “मेरी गर्दन ऊँट की तरह तो नहीं हो जाएगी न ?”

बीरबल ने मुस्कुराकर जवाब दिया, “नहीं महाराज !” यह सुनकर बादशाह और बीरबल दोनों ठहाके लगाकर हँसने लगे | इस तरह बीरबल ने बादशाह अकबर को नाराज किए बगैर उन्हें अपना किया हुआ वादा याद दिलाया और अपना इनाम भी पा लिया |

नैतिक शिक्षा – हमें दूसरों से किए हुए वादों को जरुर पूरा करना चाहिए |


13. हँसी-मजाक | Akbar Birbal Story in Hindi

एक बार बादशाह अकबर बीरबल के साथ शिकार पर गए | उनके साथ सेना की एक टुकड़ी और कुछ सेवक भी थे | शिकार करके जब बादशाह अकबर लौटने रहे थे तभी रास्ते में एक गाँव को देखकर बादशाह अकबर के मन में उसके बारे में जानने की इच्छा हुई |

उन्होंने तुरंत बीरबल से पूछा कि क्या तुम इस गाँव के बारे में कुछ जानते हो ? मुझे इस जगह के बारे में जानकरी चाहिए |

बीरबल ने जवाब दिया – महाराज ! मुझे भी इस गाँव के बारे में कुछ नहीं पता है | अपने राज्य के इस गाँव की तरफ मैं भी पहली बार हीं आया हूँ |

अगर आप यहाँ के बारे में जानना चाहते हैं तो मैं किसी से पूछकर बताता हूँ | तभी बीरबल की नजर एक व्यक्ति पर पड़ी |

उन्होंने उसे पास बुलाकर पूछा – भाई ! क्या तुम इसी गाँव के रहने वाले हो | अगर हाँ ! तो इस गांव के बारे में मुझे सब कुछ बता दो | इस गाँव में सब अच्छा तो चल रहा है न ?

वो आदमी बीरबल के सवालों का जवाब दे हीं रहा था कि उसकी नजर बादशाह पर पड़ गई | उसने बादशाह अकबर को तुरंत पहचान लिया |

उस व्यक्ति ने बोला कि साहब आप लोगों के राज में यहाँ कुछ खराब कैसे हो सकता है ? यहां सब कुछ अच्छा है |

तब बादशाह अकबर ने उस व्यक्ति से पूछा – तुम्हारा नाम क्या है ?

उस व्यक्ति ने जवाब में कहा – मेरा नाम गंगा है |

बादशाह फिर बोले – पिता का नाम ?

व्यक्ति बोला – जमुना |

इतना सुनकर बादशाह ने पूछा कि फिर तो जरूर तुम्हारी माता का नाम सरस्वती होगा !

उस व्यक्ति ने कहा – नहीं हुजूर ! मेरी माँ का नाम नर्मदा है |

इन सभी बातों को सुनकर बीरबल को हंसी आ गई और उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा – बादशाह अब यहाँ से आगे बढ़ना सही नहीं है |

यहाँ सारी नदियाँ हैं | आपके पास नाव भी नहीं है, तो आगे मत जाइए | आगे बढ़ने के लिए नाव का होना जरूरी है, नहीं तो डूबने का डर बना रहेगा और यहाँ ज्यादा देर रूके तो सब कुछ बह जाएगा |

बीरबल की यह बात सुनकर बादशाह अकबर को भी जोर से हँसी आ गई | वो व्यक्ति भी बीरबल का मजाक सुनकर मुस्कुराते हुए वहाँ से चला गया |

नैतिक शिक्षा – हमें हमेशा गंभीर हीं रहने की जरूरत नहीं होती है | हँसी – मजाक भी जिंदगी में बहुत जरूरी है |


14. जो होता है, अच्छा होता है | Akbar Birbal Story in Hindi

एक बार की बात है | राजा अकबर, बीरबल के साथ जंगल में शिकार करने जा रहे थे | वे लोग बहुत देर से जंगल में घूम रहे थे, पर कोई शिकार नहीं मिल रहा था |

बात करते – करते वे लोग बहुत समय बीता दिए | बड़ी देर के बाद एक हिरण दिखाई दिया तो अकबर बीरबल से बोले कि चलो शिकार तो मिल गया |

अकबर ने अपना धनुष निकाला और तीर को हिरण पर छोड़ दिया, मगर हिरण बच निकलता है | इसी दौरान उनकी उँगली कट जाती है |

इस पर बीरबल अकबर से कहते है कि जो हुआ अच्छा हीं हुआ | इतना सुनते हीं अकबर आग – बबूला हो जाते हैं,  क्योंकि एक तो हिरन भी हाथ नहीं आया और ऊँगली भी कट गई |

उन्होंने गुस्से में आकर सैनिकों को आदेश दिया कि बीरबल को गिरफ्तार कर लो और कल इनको फाँसी दे दी जाए | सैनिक बीरबल को गिरफ्तार कर महल लाकर जेल में डाल देते हैं |

अकबर वहाँ से और आगे बढ़ जाते हैं शिकार के लिए | शिकार की खोज में वह बहुत आगे बढ़ गए और वे रास्ते भटक गए और उनका साथ सैनिकों से छुट गया |

अब वे अकेले हो गए और धीरे – धीरे रात भी हो गई | वो कहीं विश्राम करने के लिए जगह की तलाश कर रहे थे तभी कुछ आदिवासियों ने उन्हें पकड़ लिया और अपने राजा के पास ले गए |

उस दिन आदिवासियों की कोई पूजा थी जिसमें किसी आदमी की बलि देनी थी तो उनके राजा ने आदेश दिया कि इसी आदमी की बलि दी जाए |

राजा अकबर को नीचे बिठाकर दोनों हाथ पीछे की ओर बांध दिया गया | जल्लाद ने तलवार उठाया और जैसे हीं वो अकबर के गर्दन को उतारने के लिए आगे बढ़ा |

तब तक उसी आदिवासियों में एक की नजर अकबर की ऊँगलियों पर पड़ी तो उसने देखा कि उनकी ऊँगली तो कटी हुई है |

उसने जल्लाद को रोका और बोला कि इसकी ऊँगली कटी हुई है | राजा ने उन्हें छोड़ दिया क्योंकि उनका नियम था की किसी भी ऐसे आदमी की बलि नहीं देनी है जो विकलांग हो या कोई भी अंग कटा हो |

अंततः अकबर बच गए | सुबह हुआ सैनिक उन्हें खोजते – खोजते वहाँ पहुचे और अकबर अपने सैनिको के साथ महल पहुँचे | यहाँ बीरबल को फाँसी देने की तैयारी चल रही थी |

उन्होंने तुरंत फाँसी को रोकने का आदेश दिया और बीरबल को अपने पास बुलाया | उन्होंने बीरबल से कहा कि मुझें माफ़ कर दीजिए मैंने आप पर गुस्सा किया और ऐसी सजा सुनाई | बीरबल बोले – श्रीमान जो हुआ, अच्छा हुआ |

अकबर बोले कि कैसे अच्छा हुआ, हमने आपको सजा दी और आप कह रहे कि अच्छा हुआ तो बीरबल बोले कि महाराज अगर आप हमें सजा न देते तो हम भी आपके साथ होते और आपकी जगह हमारी बलि चढ़ा दी गई होती |

इसीलिए जो हुआ, वो अच्छा हुआ | अकबर ने एक बार फिर बीरबल की प्रशंसा की और बहुत प्रसन्न हुए और फिर से बीरबल को उनका कार्य – भार सौंप दिया गया |  

नैतिक शिक्षा – हमें इस कहानी से यहीं सीख मिलती है कि “जो होता है, अच्छा होता है |”


15. बेईमान प्रजा | Akbar Birbal Story in Hindi

बादशाह अकबर और बीरबल यूँ हीं एक दिन बैठकर प्रजा के बारे में बातें कर रहे थे | बातों हीं बातों में बादशाह अकबर ने कहा कि बीरबल तुम्हें पता है, हमारी प्रजा बेहद ईमानदार है |

इस बात का जवाब बीरबल ने ये कहते हुए दिया कि जहाँपनाह! किसी भी राज्य में सब लोग पूरी तरह से ईमानदार नहीं होते हैं | सारा जग हीं बेईमान है |

बादशाह अकबर को बीरबल की यह बात पसंद नहीं आई | उन्होंने बीरबल से पूछा, “तुम यह कैसी बात कर रहे हो ?” बीरबल ने जवाब दिया कि जहाँपनाह! मैं बिल्कुल सत्य कह रहा हूँ |

अगर आप चाहें तो मैं अपनी बात अभी साबित कर सकता हूँ | बीरबल के आत्मविश्वास को देखकर बादशाह अकबर बोले, “ठीक है! जाओ तुम अपनी बात को सही साबित करके दिखाओ |”

बादशाह अकबर की आज्ञा मिलने के बाद बीरबल पूरी जनता की बेईमानी को बाहर लाने के लिए तरकीब सोचने लगे | उन्होंने मन में सोचा कि लोग खुलकर बेईमानी नहीं करते हैं, इसलिए कुछ अलग करना पड़ेगा |

सब कुछ सोचने के बाद उन्होंने पूरे राज्य में यह एलान कर दिया कि बादशाह अकबर एक बड़ा सा भोज का आयोजन चाह रहे हैं | उसके लिए वो चाहते हैं कि पूरी प्रजा इसमें योगदान करे |

बस आप लोगों को ज्यादा कुछ नहीं, मात्र एक लोटा दूध पतीले में डालना होगा | इतना योगदान हीं प्रजा की तरफ से काफी है | इस बात का एलान करवाने के बाद जगह-जगह पर एक-दो बड़े-बड़े पतीले रखवा दिए गए |

इतना बड़ा पतीला और राज्य की जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए, उसमें लोगों ने शुद्ध दूध डालने के बजाय पानी मिला हुआ दूध डाला | किसी-किसी ने तो सिर्फ पानी हीं डाल दिया |

सभी के मन में यहीं होता था कि सामने वाले ने तो दूध हीं डाला होगा | अगर मैं पानी या पानी मिला हुआ दूध डाल दूँगा तो क्या हीं हो जाएगा |

शाम तक पतीलों में दूध इकट्ठा हो गया | बीरबल अपने साथ बादशाह अकबर और कुछ रसोइयों को उन जगहों पर ले गए, जहाँ पतीले रखे गए थे |

बादशाह ने जिस भी पतीले में देखा तो दूध नहीं, सिर्फ सफेद पानी हीं दिखा | रसोइयों ने भी कहा कि महाराज ये दूध नहीं है |

इन सारे पतीलों में पानी हीं है | इसमें मुश्किल से आधे से एक लोटा दूध होगा, जिसकी वजह से इसका रंग हल्का सफेद है |  

इन सारी चीजों को देखकर बादशाह अकबर हैरान हो गए | उनके मन में हुआ कि मैं तो सबको ईमानदार समझता था, मगर बीरबल की बात तो सच निकली |

उन्होंने बीरबल से कहा कि तुम ठीक हीं कहते थे | मुझे हकीकत समझ आ गई है | इतना कहते हुए बादशाह, बीरबल और सभी लोगों के साथ वापस महल आ गए |

नैतिक शिक्षा – किसी पर भी आँख बंद करके भरोसा नहीं करना चाहिए |