अगर आपके पास भी समय की कमी है तो कोई बात नहीं, हम आपके लिए 10 छोटी कहानी इन हिंदी (Very Short Story in Hindi) का खजाना लेकर आए हैं ताकि आप कम समय में भी इन कहानियों को पढ़कर कुछ सीख सकें।
01. जंगल की दोस्ती | Very Short Story in Hindi
एक समय की बात है। घने जंगल के बीच में एक बड़ा तालाब था। तालाब के पास एक खरगोश, एक हिरण, और एक कछुआ रहते थे। तीनों पक्के दोस्त थे। रोज़ सुबह वे तालाब के पास मिलते और ढेर सारी बातें करते।
एक दिन जंगल में शेर आ गया। शेर बहुत गुस्सैल और भूखा था। उसने चारों ओर शिकार की तलाश की। तभी उसकी नजर तालाब के पास बैठे तीन दोस्तों पर पड़ी। शेर ने सोचा, “आज तो मेरा पेट भर जाएगा।”
शेर धीरे-धीरे छुपकर उनके पास पहुंचा। लेकिन कछुए ने शेर की आहट सुन ली। उसने तुरंत अपने दोस्तों को सतर्क किया।
खरगोश तेज़ी से भागकर पास के झाड़ियों में छुप गया। हिरण अपनी तेज़ चाल से भागने लगा। कछुआ, जो सबसे धीमा था, तालाब में कूद गया।
शेर को गुस्सा आया क्योंकि उसका कोई शिकार नहीं हुआ। उसने तालाब के पास ही इंतजार करना शुरू कर दिया। तभी खरगोश और हिरण वापस आए और एक योजना बनाई।
खरगोश ने शेर से कहा, “शेर भाई, हमें माफ़ कर दो। हम तुम्हें खाना लाकर देंगे। बस, हमारी जान बख्श दो।” शेर मान गया।
खरगोश ने जल्दी से कछुए को बुलाया और तीनों ने मिलकर जंगल के कुछ जानवरों को शेर के डर से वहां से भगा दिया।
जब शेर को लंबे समय तक खाना नहीं मिला, तो वह निराश होकर जंगल छोड़कर चला गया। तीनों दोस्तों ने राहत की सांस ली और फिर से खुशी-खुशी अपने तालाब के पास रहने लगे।
नैतिक शिक्षा – सच्ची दोस्ती और सूझ-बूझ से बड़ी से बड़ी समस्या को हल किया जा सकता है।
02. मोर और लोमड़ी | Very Short Story in Hindi
एक बार की बात है। एक हरा-भरा जंगल था जिसमें कई तरह के जानवर और पक्षी रहते थे। उस जंगल में एक चालाक लोमड़ी और एक सुंदर मोर रहते थे। लोमड़ी अपनी चालाकी और धोखाधड़ी के लिए मशहूर थी। वहीं, मोर अपनी सुंदरता और बुद्धिमानी के लिए जाना जाता था।
एक दिन लोमड़ी ने सोचा, “अगर मैं इस मोर को पकड़ लूं, तो मेरी कई दिनों की भूख मिट जाएगी। लेकिन मुझे इसे धोखे से फंसाना होगा।”
लोमड़ी मोर के पास गई और बोली, “मोर भाई, तुम कितने सुंदर हो! तुम्हारे पंखों की चमक से तो पूरा जंगल रोशन हो जाता है। क्या तुम मेरे दोस्त बनोगे?”
मोर ने लोमड़ी की बातों को ध्यान से सुना और उसकी चालाकी को भांप लिया। उसने मुस्कुराते हुए कहा, “जरूर, लोमड़ी बहन। लेकिन दोस्ती में एक वादा करना पड़ता है।”
लोमड़ी ने उत्सुकता से पूछा, “वादा? कैसा वादा?”
मोर ने कहा, “तुम्हें कसम खानी होगी कि तुम मुझे कभी नुकसान नहीं पहुंचाओगी। तभी हमारी दोस्ती टिकेगी।”
लोमड़ी ने झूठ-मूठ कसम खा ली। लेकिन जैसे ही मोर पेड़ से नीचे उतरा, लोमड़ी उस पर झपटने को तैयार हो गई।
मोर ने जल्दी से पंख फैलाए और उड़कर एक ऊंचे पेड़ की शाखा पर बैठ गया। वहां से उसने हंसते हुए कहा, “लोमड़ी बहन, तुम्हारी चालाकी मेरे दिमाग से जीत नहीं सकती। अब तुम खुद सोचो, दोस्ती की कीमत क्या होती है।”
लोमड़ी शर्मिंदा होकर वहां से चली गई।
नैतिक शिक्षा – चालाकी से ज्यादा महत्व बुद्धिमानी और सतर्कता का होता है।
03. भालू को मधुमक्खियों का सबक | Very Short Story in Hindi
एक बार की बात है। जंगल के किनारे एक बड़ा भालू रहता था। वह बहुत आलसी था और मेहनत से दूर भागता था। उसका पेट हमेशा भरा रहता, क्योंकि वह दूसरों का खाना चुराकर खा लेता।
एक दिन उसे मधुमक्खियों के छत्ते से टपकता हुआ शहद दिखा। भालू ने सोचा, “यह तो बहुत स्वादिष्ट होगा। क्यों न इसे तुरंत खा लिया जाए?”
भालू बिना कुछ सोचे-समझे छत्ते के पास गया और उसे तोड़ने लगा। जैसे ही उसने छत्ता तोड़ा, मधुमक्खियां गुस्से में बाहर आ गईं। भालू को काटने लगीं। भालू दर्द से चीखते हुए वहां से भागा।
वह तालाब के पास जाकर अपने घाव धोने लगा। तभी पास में बैठा एक बूढ़ा बंदर बोला, “भालू भाई, मेहनत के बिना जो मिलता है, उसका अंजाम हमेशा बुरा होता है। तुमने मेहनत से शहद जमा करने वाली मधुमक्खियों को तंग किया, और यही तुम्हारे लिए सबक है।”
भालू को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने तय किया कि अब से वह दूसरों का नुकसान नहीं करेगा और खुद मेहनत करेगा।
नैतिक शिक्षा – बिना मेहनत के दूसरों की चीज़ लेने की कोशिश हमेशा नुकसानदायक होती है।
04. बगुला और मछलियां | Very Short Story in Hindi
एक नदी के किनारे एक बूढ़ा बगुला रहता था। उसकी उम्र ढल चुकी थी और अब वह मछलियों को पकड़ने में असमर्थ था। भूख से परेशान बगुले ने एक चाल चली।
वह नदी के पास बैठकर रोने लगा। मछलियां उसे देखकर बोलीं, “बगुले मामा, तुम क्यों रो रहे हो?”
बगुला बोला, “मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया है। मैंने जीवनभर मछलियों को खाया, लेकिन अब मैं बूढ़ा हो गया हूं।
मैं चाहता हूं कि तुम्हारी मदद करूं। मैंने सुना है कि इस नदी का पानी जल्दी ही सूख जाएगा। तुम सब यहां से सुरक्षित जगह चली जाओ।”
मछलियां घबरा गईं। उन्होंने बगुले से पूछा, “हमें कहां जाना चाहिए?” बगुला बोला, “पास में एक और बड़ी झील है। मैं तुम्हें वहां ले चलूंगा।”
एक-एक करके बगुला मछलियों को अपनी चोंच में उठाकर ले जाने लगा। लेकिन वह उन्हें झील की बजाय पास के पत्थरों के पीछे ले जाकर खा जाता।
एक समझदार केकड़े ने यह सब देख लिया। उसने बगुले की सच्चाई जानने के लिए कहा, “मुझे भी झील तक ले चलो।” बगुले ने उसे भी अपनी चोंच में उठा लिया।
जब बगुला केकड़े को खाने की तैयारी कर रहा था, केकड़े ने अपनी तीखी चिमटी से बगुले की गर्दन पकड़ ली। बगुला दर्द से चिल्लाया और माफी मांगने लगा। केकड़े ने कहा, “अब तुम हमें धोखा देने की कोशिश मत करना।”
इसके बाद मछलियों और केकड़े ने मिलकर बगुले को सबक सिखाया और नदी में शांति से रहने लगे।
नैतिक शिक्षा – लालच और धोखा हमेशा बुरे परिणाम लाता है।
05. चतुर लोमड़ी और भूखा शेर | Very Short Story in Hindi
एक बार की बात है। जंगल में एक शेर रहता था जो बूढ़ा और कमजोर हो गया था। वह अब शिकार नहीं कर पाता था और हमेशा भूखा रहता था। एक दिन उसने सोचा, “अब मुझे चालाकी से अपना पेट भरना होगा।”
शेर ने जंगल में ऐलान किया, “सभी जानवर ध्यान दें! मैं अब बूढ़ा हो गया हूं और किसी को नुकसान नहीं पहुंचाऊंगा। तुम सब मुझसे मिलने आ सकते हो। मैं सिर्फ दोस्ती करना चाहता हूं।”
सभी जानवरों को शेर की बात पर थोड़ा शक हुआ, लेकिन उनमें से कुछ उसे देखने गए। उनमें से कोई भी वापस नहीं लौटा। शेर धीरे-धीरे चालाकी से उन्हें अपना शिकार बनाता रहा।
एक दिन एक चतुर लोमड़ी शेर की गुफा के पास पहुंची। उसने देखा कि गुफा के अंदर कई पैरों के निशान जा रहे थे, लेकिन बाहर की ओर एक भी निशान नहीं था। लोमड़ी समझ गई कि शेर चालाकी कर रहा है।
लोमड़ी ने शेर से बाहर ही से आवाज लगाई, “शेर राजा, मैं आपसे मिलने आई थी। लेकिन मुझे आपकी गुफा में जाने में डर लग रहा है।”
शेर ने गुफा के अंदर से जवाब दिया, “आओ लोमड़ी बहन, डरने की जरूरत नहीं है। मैं तुम्हारा स्वागत करूंगा।”
लोमड़ी ने चतुराई से जवाब दिया, “मुझे माफ करना, लेकिन जो गुफा में गए, वे वापस नहीं लौटे। मैं मूर्ख नहीं हूं।” यह कहकर लोमड़ी वहां से चली गई।
नैतिक शिक्षा – सावधानी और बुद्धिमानी से चालाक दुश्मनों को हराया जा सकता है।
06. हिरण और बंदर की समझदारी | Very Short Story in Hindi
जंगल में एक घास का मैदान था, जहां एक हिरण और बंदर रहते थे। दोनों अच्छे दोस्त थे। हिरण अपनी तेज़ दौड़ के लिए मशहूर था, और बंदर अपनी फुर्ती और बुद्धिमानी के लिए।
एक दिन जंगल में एक शिकारी आया। उसने हिरण को पकड़ने के लिए जाल बिछा दिया। हिरण को यह जाल दिखाई नहीं दिया और वह उसमें फंस गया।
हिरण ने मदद के लिए पुकारा। पास के पेड़ पर बैठा बंदर उसकी आवाज सुनकर तुरंत आया। उसने जाल को देखा और सोचा, “अगर मैंने सीधे इसे खोलने की कोशिश की, तो शिकारी हमें पकड़ लेगा।”
बंदर ने तुरंत एक योजना बनाई। वह तेजी से दौड़ता हुआ शिकारी की तरफ गया और उसके सामने झाड़ियों में इधर-उधर छलांग लगाने लगा। शिकारी ने सोचा, “यह बंदर बड़ा शरारती है। इसे पकड़ना चाहिए।”
शिकारी अपना जाल छोड़कर बंदर के पीछे भागने लगा। इधर, बंदर ने हिरण को इशारा किया। हिरण ने अपनी पूरी ताकत लगाई और जाल से बाहर निकलने की कोशिश की। जाल कमजोर हो चुका था, और हिरण ने आखिरकार खुद को आजाद कर लिया।
दोनों दोस्त वहां से भागकर जंगल के गहरे हिस्से में चले गए। शिकारी वापस आया, लेकिन जाल खाली था। वह निराश होकर लौट गया।
नैतिक शिक्षा – मुश्किल समय में सच्चे दोस्त हमेशा मदद करते हैं।
07. तोता और चालाक बिल्ली | Very Short Story in Hindi
एक बार की बात है। एक हरे-भरे जंगल में एक बड़ा पेड़ था। उस पेड़ पर एक चतुर तोता रहता था। वह मीठी-मीठी बातें करता और हर किसी का दिल जीत लेता।
पास ही एक भूखी बिल्ली रहती थी। उसने तोते को पकड़ने की योजना बनाई। एक दिन वह पेड़ के नीचे आई और बोलने लगी, “तोता जी, आप कितने अच्छे लगते हैं। आपकी आवाज़ तो संगीत जैसी है। मैं आपकी बातें सुनने के लिए आई हूं।”
तोते ने बिल्ली की चालाकी को भांप लिया और बोला, “अरे वाह! कोई मेरी आवाज़ सुनने आया है। पर तुम तो जमीन पर हो। तुम्हें मेरी आवाज़ ठीक से सुनाई नहीं देगी। ऊपर आ जाओ।”
बिल्ली ने सोचा, “यह तो अच्छा मौका है।” वह पेड़ पर चढ़ने लगी। लेकिन जैसे ही वह आधे रास्ते पहुंची, तोते ने जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया। उसकी आवाज सुनकर पास के कुत्ते जाग गए और तुरंत दौड़ते हुए वहां आ गए।
बिल्ली डरकर तेजी से नीचे उतरी और वहां से भाग गई। तोता हंसते हुए बोला, “चालाकी से काम लेना अच्छा है, लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी है सतर्क रहना।”
नैतिक शिक्षा – बुद्धिमानी और सतर्कता से मुश्किल से बचा जा सकता है।
08. नीलकंठ और धोखेबाज कोयल | Very Short Story in Hindi
जंगल के एक ऊंचे पेड़ पर नीलकंठ और कोयल का घोंसला था। नीलकंठ मेहनती था और रोज खाना जुटाने में लगा रहता था। वहीं, कोयल आलसी और चालाक थी।
एक दिन कोयल ने सोचा, “नीलकंठ हर दिन मेहनत करता है। क्यों न मैं उसकी मेहनत का फायदा उठा लूं।” कोयल ने नीलकंठ से कहा, “नीलकंठ भाई, आज मैं बीमार हूं। क्या तुम मेरे लिए खाना ला सकते हो?”
नीलकंठ दयालु था। उसने कहा, “ठीक है, मैं तुम्हारे लिए खाना ले आऊंगा।” वह सुबह से शाम तक मेहनत करता और दोनों के लिए खाना जुटाता।
यह सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा। नीलकंठ थकने लगा। उसने सोचा, “मुझे पता लगाना चाहिए कि कोयल सच में बीमार है या नहीं।”
अगले दिन नीलकंठ ने जाने से पहले कोयल के घोंसले के पास एक जगह छुपकर नजर रखी। उसने देखा कि कोयल बीमार नहीं है। वह खुश होकर नाच रही थी और दूसरों से गाना गाने की बातें कर रही थी।
नीलकंठ समझ गया कि कोयल उसे धोखा दे रही है। वह कोयल के पास गया और गुस्से में बोला, “तुमने मुझे बेवकूफ बनाया! अब मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं करूंगा। मेहनत का फल उसी को मिलता है, जो सच्चाई से जीता है।”
कोयल शर्मिंदा हो गई और नीलकंठ से माफी मांगने लगी। नीलकंठ ने उसे माफ किया, लेकिन वादा लिया कि वह आगे से मेहनत करेगी।
नैतिक शिक्षा – दूसरों को धोखा देकर कुछ पाने की कोशिश हमेशा गलत होती है। मेहनत और ईमानदारी का कोई विकल्प नहीं है।
09. जंगल के राजा का न्याय | Very Short Story in Hindi
एक बार की बात है। जंगल में एक शेर राजा था। वह अपनी प्रजा का ख्याल रखता था और हमेशा न्याय करता था। एक दिन दो जानवर, एक सियार और एक बंदर, राजा के पास पहुंचे।
सियार बोला, “महाराज, बंदर ने मेरी रोटी चुरा ली है। यह रोटी मैंने कड़ी मेहनत से बनाई थी।” बंदर ने तुरंत जवाब दिया, “नहीं महाराज, यह मेरी रोटी है। सियार झूठ बोल रहा है।”
शेर ने दोनों को शांत किया और कहा, “तुम दोनों सच बता रहे हो या झूठ, इसका फैसला मैं करूंगा। रोटी मुझे दो।”
सियार ने रोटी शेर को दे दी। शेर ने रोटी को बीच में से तोड़कर दो हिस्से किए। लेकिन दोनों हिस्से बराबर नहीं थे। शेर ने बड़े हिस्से को काटकर छोटा करने के लिए एक टुकड़ा खा लिया।
अब दूसरा हिस्सा बड़ा हो गया। शेर ने उसे भी काटा और खा लिया। यह सिलसिला तब तक चलता रहा जब तक रोटी का केवल एक छोटा सा टुकड़ा बचा।
शेर ने वह टुकड़ा अपने पास रखते हुए कहा, “अब इस रोटी पर झगड़ा करना बंद करो। यह सजा है कि तुम दोनों को कुछ नहीं मिलेगा। अगली बार मेहनत और ईमानदारी से काम करना।”
दोनों ने अपनी गलती मानी और वहां से चले गए।
नैतिक शिक्षा – झूठ और धोखा हमेशा नुकसानदायक होता है। सच्चाई ही सबसे बड़ा गुण है।
10. खरगोश और कछुए का दूसरा सबक | Very Short Story in Hindi
एक बार फिर जंगल में खरगोश और कछुए के बीच दौड़ की चर्चा होने लगी। पिछली बार कछुए ने अपनी लगन और धैर्य से जीत हासिल की थी। इस बार खरगोश ने कछुए को फिर से चुनौती दी।
खरगोश ने कहा, “इस बार मैं गलती नहीं करूंगा। मैं पूरी दौड़ में तेज दौड़ूंगा और तुम्हें हराऊंगा।” कछुए ने मुस्कुराते हुए कहा, “ठीक है, कोशिश करो।”
दौड़ शुरू हुई। खरगोश ने पहले की तरह तेज दौड़ना शुरू कर दिया। कछुआ धीरे-धीरे अपने कदम बढ़ा रहा था। लेकिन इस बार कछुआ ने एक नई योजना बनाई।
दौड़ के रास्ते में कछुए ने अपने कुछ दोस्तों को मदद के लिए बुलाया। उन सभी ने अपनी शक्लें एक जैसी बना लीं और अलग-अलग जगहों पर छुप गए। जब खरगोश दौड़ते हुए आगे बढ़ता, तो उसे हर जगह “कछुआ” दिखता।
हर बार खरगोश सोचता, “कछुआ तो मुझसे आगे है! मैं कितना भी तेज दौड़ूं, इसे हरा नहीं सकता।” यह सोचकर वह परेशान हो गया और दौड़ छोड़कर वापस चला गया।
कछुआ धीरे-धीरे फिनिश लाइन तक पहुंचा और जीत गया। खरगोश ने कछुए से पूछा, “यह कैसे संभव है?” कछुआ मुस्कुराया और बोला, “सिर्फ तेज दौड़ने से जीत नहीं मिलती। दिमाग और टीमवर्क भी जरूरी हैं।”
नैतिक शिक्षा – अकेली ताकत से जीत नहीं होती; बुद्धिमानी और सहयोग भी बहुत मायने रखते हैं।